Thursday, July 22, 2010

ज़िन्दगी से हमें कुछ शिकायत तो है

ज़िन्दगी से हमें कुछ शिकायत तो है
ज़िन्दगी से मगर खुबसूरत है क्या
तुमसे शिकायत है ये तुम हमें मिलते नहीं

ओर  तुमसे शिकायत है ये तुम हमें मिलते नहीं
मरके भी हम जी रहे है ये तुम क्यों समझते नहीं
तुमसे शिकायत है ये तुम हमें मिलते नहीं

जीते जी हम तेरे पास आ न सके
मरके भी हम तुझे भुला पाये नहीं
वक़्त भी ये मेरे जख्म भर न सका
आज भी हर घडी सोचते है यही

हम क्यों दिलबर तेरे दिल मैं धड़कते नहीं
हो ओ ओ
तुमसे शिकायत है ये तुम हमें मिलते नहीं

बेबसी मैं तो बस एक ख्याल आ रहा है
ज़िन्दगी से मैं एक ज़िन्दगी मांग लूं
अब तो आने लगा आसुओ को रहेमा